SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2792
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - *पोषक २७६२ मुनि श्री अमोलक ऋषिजी Raninmha णो दावरजुम्मे, कलिओए ॥ एवं जाव अणंतपएसिए खंधे ॥ २६ ॥ परमाणु पोग्गलाणं भंते ! दवट्टयाए किं कडजुम्मा पुच्छा ? गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कड़जुम्मा जाब सिय कलिओगा; विहाणादेसेणं णो कडजुम्मा णो तओगा णो दावरजुम्मा कलिओगा एवं जाव अणंत पएसिया खंधा ॥ २७ ॥ परमाणु पोग्गलेणं भंते ! . पदेसट्टयाए किं कडजुम्मे पुच्छा ? गोयमा ! णो कडजुम्मे णो तेओए णो दावर - 3 कलिओगे ॥ दुपदेसिए पुच्छा ? गोयमा ! णो कडजुम्मे णो तेयोए दावर णो कलिआए ॥ तिपएसिए पुच्छा ? गोयमा ! णो कडजुम्मे णो दावर तेओए. णों } भावार्थ , अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना. ॥२६॥अहो भगवन् ! परमाणु पुद्गल द्रव्य से क्या कृत युग्म पृच्छा अहो गौतम ! सामान्य मे स्यात कृत युग्म यावत् कलियोज है. विधानादेश से कृत युग्म योन व द्वापर युग्म नहीं है परंतु कलायोज है.ऐसेही अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत कहना॥२७॥अहो भगवन! परमाणु पुद्गल प्रदेश से क्या कृत युग्म है पृच्छा अहो गौतम!कृतयुग्म, त्रेता व द्वापर नहीं है परंतु कलियुग्महै.द्विपदेशिक की पृच्छा,अहो गौतम द्वापर युग्म है परंतु कृतयुग्म म्योज व कलि योज नहीं है. तीन प्रदेशिक की पृच्छा, अहो गौतम ! कृतयुग्म, द्वापर व कलि योज नहीं परंतु ज्योज है. चार प्रदेशिक की पृच्छा, अहो गौतम ! कृतयुग्म है परंतु बिहादुर'लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * |
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy