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एवं द्वितीएवि ॥१९॥ एएसिणं भंते ! एगगुणकालयाणं दुगुणकालयाणय पोग्गलाणं . है दबट्टयाए, एएसिणं जहा परमाणू पोग्गलादीणं तहेव वत्तव्वया णिरवरेसा एवं सब्वेसि वण्णगंधरसाणं ॥ २० ॥ एएसिणं भंते ! एगगुण कक्खडाणं दुगुणकक्खडाणय पोग्गलाणं दवट्टयाए कयरे कयरहितो जाब विसेसाहियावा ? गोयमा ! एगगुण कक्खडेहिंतो पोग्गलहितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए विससाहिया एवं जाव णवगुणकक्खडेहिता पोग्गलहितो दसगुण कक्खडा पोग्गला दबट्टयाए विसेसाहिया ॥
दसँगुण कक्खडेहितो पोग्गलेहितो संखेजगुणकक्खडा पोग्गला दवट्टयाए बहुया, भावार्थ स्थिति का जानना ॥ १९ ॥ अहो भगवन ! एक गुण काले बदोगुग कालेज पुगलों में द्रव्य मे कौन अल बहुत हैं?
अहो गौतम! जैसे परमाणु पुद्गल की वक्तव्यता कही वैसे ही यहां कहना. ऐसे ही सब वर्ण, गंध, रसकी कहन ॥२२॥ अहो भगवन् ! इन एक गुन क श व दो गुन कश पुद्गल में द्रव्य से कौन किस से यावत् विशेषाधिक हैं ? अहो गौतम ! एक गुन कर्कश पुद्गल से दो गुन कर्कश पुद्गल द्रव्य से विशेषाधिक है ऐने ही यावत्
नवगुन कर्कश पुद्गल से दश गुन कर्कश पुद्गल द्रव्य से विशेषाधिक, दश गुत कर्कश पुद्गल से संख्यात गुन 1 'कर्कश पुद्गल द्रव्य से बहुत,संख्यात गुन कर्कश पुद्गल से असंख्यात गुन कर्कश पुद्गल द्रव्य से बहुत और
सूत्र * पंचमा विवाह पाणत्ति ( भगवति )
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पच्चीनाशक का चौथा उद्दशा
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