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________________ पोग्गलाणय दन्वट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो विसे साहियावा ? गोयमा ! दुपदेसोगाढेहितो पोग्गलहितो एगपदेसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए विसेसाहिया एवं एएणं गमएणं तिपदेसोगाढहितो पोग्गलेहितो दुपदेसोगाढा पोग्गला · दब्वट्ठगाए विसमाहिया २७५३ जाब दसपएसोगाढहितो पोग्गलहितो णवपदेसोगाढा पोग्गला दव्ययट्ठाए विमेसाहिया ॥ एएसिणं भंते ! दसपएसा पुच्छा ? गोयमा ! दसपदेसांगाढेहितो पोग्गलहितो संखेजपदेसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए बहुया ॥ संखेजपएसोगाढहितो पोग्गलेहिंतो असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए बहुया, पुन्छ। सम्वत्थ पाणिभावार्य हो भगवन् ! एक प्रदेशावगाही व दो प्रदेशावगादी इन में कौन दुव्य से अरप बहुत या विशेषा1 धिक है ! अहो गौतम ! द्विपदेश आगाही पुद्गल से एक प्रदेश अवगाही पुद्गल द्रव्य मे विशेषाधिक है | ऐसी तीन प्रदेशागाही पुद्गल से द्विपदेशावगाही पुद्गल विशेषाधिक है यारत् दश प्रदेशावगाही पदर से देशोषणाली पुल द्रव्य से विशेषाधिक है. अहो भगवन् ! इन दक प्रदेशावगाही व संख्यात पहा नारी पुजय मे कौन अस्प बात है ! ओ ग.नम ! दश पर लगाही पद्गल से संरूपात प्रदशाकापणी द्रव्य से बात है. महयाव मवेशानगांडी पुल से प्रख्यात मदेशावनाही पल दूब से बहुत है. । चि ( भगवती ) मत्र * पच्चीसवा शतकका चौथा उद्दे सा :
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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