SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2768
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ । २७३८ भावार्थ * अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी - बहुवत्तव्वयास तहेव गिरवसेसं ॥ ६ ॥ धम्मत्थिकाएणं भंते ! कि ओगाढे अणोगाढे गॉग्यमा ओगाढे णो अणोगाढे ॥ जइ ओगाढ किं संखजपएसोगाढे असंखेजपएसो गाढे.अणंतपएसो गाढं? गोयमा! णो संखेजपए सोगाढे, असंखेज पएसोगाढे, णो अणंत पए,मोगाढे ॥ जइ असंखजपएसोगाढ किं कडजुम्म पएसोगाढे पुच्छा ? गोयमा ! कजुम्मपएमोगाढे, णो तेयोगे, णो दाव'जुम्मे, णो कालओगपएसोगाढे, एवं अह. म्मत्थिकाएवि, एवं आगासस्थिकाए ॥ जीवात्थकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए एवं इस से मुद्गलास्तिकाया अंत गुती और इस से कल अत गुना ॥ ६॥ अहो भगवन् ! धर्मास्तिकाया क्या अवगाहकर रही है या विना अवगाह कर रही है ? अहो गौतम ! अवगाह कर रही है परंतु विना जग्गाहकर नहीं रही है. यदि अवगाहकर रही है तो क्या संख्यात प्रदेश अवगाहकर रहीहै,असंख्यात प्रदेश अवगाह कर रही है या अनंत प्रदेश अवगाह कर रही है ? अ. गौतम ! संख्यात प्रदेश अवगाही व अनेक प्रदेश अवगाही नहीं है परंतु असंख्यात प्रदेशावगाही है. यदि असंख्यात प्रदेशावगाही है तो क्या कृतयुग्म पदशावगाडी है वगैरह पृच्छ', अहो ग.नम ! नियुम प्रदेशावगाही है परंतु त्रेता, द्वापर व कलियाम प्रदेश वगाही नहीं है. धर्मास्तिकाया को लोकाकाश प्रदेश प्रमाण से कृतयुग्मपनाही हो. ऐसे मी भधर्मास्तिकाया, आकाशास्तिकाया, जीवास्तिकाया, पुद्गलास्तिकाया व काल का. जानना ॥ ७ ॥ • प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादनी *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy