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________________ 4gg+अमानववाह पण्णति (भगवती) मूत्र488 गोयमा ! भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति जाव वैमाणिय देवेहितोवि उवववति ॥ ५ ॥ जइ भवणवासिदेवहितो उववजंति, किं असुरकुमार भवणवासि देवहितो उववजंति जाव थणियकुमार भवणवासि ? गोयमा ! असुरकुमार भवणवासि जाव थणियकुमार उववजंति ॥ ६ ॥ असुरकुमारेणं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए सेणं भंते ! केवइयकाल दिईएसु ? गोयमा ! जहणणेणं मास पुहुत्तढ़िईएसु उक्कोसेणं पुवकोडि आउएसु एवं जागेव पंचिंदिय तिरिक्खजोणि उद्देसए वत्तव्वया साचेव एत्थवि भाणियव्वा, णवरं जहा तहिं जहण्णगं अंतोमुहुत्त दिईएसु तहाइहवि मासपुहुत्त ट्टिईएसु परिमाणं, जहण्णेणं एक्कोवा दोवा तिण्णिवा उक्कोसेणं संखेज्जावा गौतम ! भवनवासी यावत् वैमानिक देव में से उत्पन्न होवे. ॥५॥ यदि भवनवासी में से उत्पन्न होवे तो क्या असुरकुमार में से उत्पन्न हो यावत् स्तनितकुमार में से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! अमुरकुमार पावत् स्तनितकुमार में से उत्पन होवे. ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! असुरकुमार में से जो मनुष्य में उत्पमा होने योग्य होवे वह कितनी स्थिति से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! जघन्य प्रत्येक मास उस्कृष्ट पूर्व क्रार ऐसे ही जैसे तिर्यंच पंचेन्द्रिय की वक्तव्यता कही वैसे ही कहना. विशेष में वहांपर जहां २ अघन्य चौबीया शतक का इनोसका उद्देशा 498 भावा
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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