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48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अम लक ऋषिनी 8
सोहम्मकप्पोववण्णग वेमाणिए जाव अच्चुतकप्पाववण्णग वेमाणिया जाव उववज्जति ? गोयमा ! सोहम्मकप्पोववण्णग वेमाणिया, ईसाणकप्पोववण्णग वेमाणिया जाव उववति ॥ णो सणंकुमार जाव णो अच्चुयकापोचवण्णग वेमाणिया जाव उववज्जति, ॥ ३९ ॥ सोहम्मगदेवेणं भंते ! जे भविए पुढवीकाइएसु उववजइ सेणं भंते ! केवइया एवं जहा जोइसियस्स गमगो ॥ एवं दिई अणुबंधोय जहण्णेणं पलिओवमं उक्कोसेणं दो सागरावमाई, कालादेसेणं जहण्णेणं पलिओवमं अंतोमुहुत्त मभहियं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं वावीस वाससहस्सेहिं अमहियाई, एवइयं कालं गौतम ! कल्पोत्पन्न में से उत्पन्न होघे परंतु कल्पातीत वैमानिक में से उत्पन्न होवे नहीं. यदि कल्पोत्पन्न में से यावत् उत्पन्न होवे तो क्या सौधर्प देवलोक यावत् अच्युत देवलोक में से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! - सौधर्म व ईशान यों दो देवलोक में से उत्पन्न होवे परंतु सनत्कुमार यावत् अच्युत देवलोक में से उत्पन्न होवे नहीं ॥ ३१ ॥ अहो भगवन् ! जो सौधर्म देवलोक में से पृथ्वी काया में उत्पन्न होने योग्य हैं वे किननी स्थिति से उत्पन्न होवे ? ऐसे ही जैसे ज्योतिषी के गमा कहे वैसे ही यहां जानना. स्थिति और अनुबंध जघन्य एक पल्योपम उत्कृष्ट दो सागरोपम. कालादेश से जघन्य पल्योएम व अंतर्मुहुर्त अधिक उत्कृष्ट
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसाईजा*
भावार्थ