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सूत्र
भावार्थ
१० पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
काल
आदिल्ला तिष्णिगमा णेयव्त्रा; नवरं सरीरोगाहणा पढम चितिएसु गमएसु जहणणं साइरेगाई पंचधणुहसयाई उक्कोसेणं तिष्णि गाउयाई सेसं तंचेव तईओगमो गाहणा जहणणं तिण्णि गाउयाइं उक्कोंसणवि तिष्णि गाउयाई सेसं जहेब तिरिक्खजोणिसोचे अप्पा जहण्ण कालट्ठिईओ जाओ तस्सवि जहण्ण ट्ठियतिरिक्खजोणिय सरिसा तिष्णि गमगा भाणियव्वा णवरं सरीरोगाहणा तिसुवि गमएस जहण्णेणं साइरेगाई पंच धणुहसयाई उक्कोसेणवि साइरेगाई पंचधणुहस्याई सेसं तंचेव सोचेत्र अप्पणा उक्कोसकालट्ठिईओ जाओ तस्सवि तेचेत्र पछिल्ला तिणि गमगा भाणियव्वा णवरं सरीरोगाहणा तिसुवि गमएस जहण्णेणं तिण्णि हना है. उस ही जघन्य स्थितिवाले मनुष्य का जघन्य स्थितिवाले तिर्यंच जैसे तीनों गमा कहना. तीनों गमा में अवगाहना जघन्य उत्कृष्ट साधिक पांचसो धनुष्य की जानना. उत ही उत्कृष्ट स्थितिवाले मनुष्य का ( उत्कृष्ट स्थितित्राले तिर्यंच के पीछे के तीन गमा कहना. परंतु तीनों में शरीर अवगाहना जघन्य उत्कृष्ट तीन गाउ की कहना || ३२ ॥ यदि संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले मनुष्य में से उत्पन्न होवे तो क्या पर्याप्त में से उत्पन्न होने या अपर्याप्त में से उत्पन्न होवे ? अहो गौतम ! पर्याप्त संख्यात वर्ष के आयुष्य
4 चौवीसवा शतक का दूसरा उद्देशा
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