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________________ 4 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीमी, अह भंते ! भात्थिया तंदुय वोर कविट्ठ अंबाडग माउलिंग विल आमलग फणस दालिम अंसो? अंबर वडणग्गोह णंदिरुक्ख पिप्पलि सतर पिलक्खु काउंवरिय कुच्छंभरिय देवदारु तिलग लउह छत्तोह सरीस सत्तवण्ण दधिवण्ण लोडव चंदण ज्जुण णीव कुडग कलंठाणं, एएसिणं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, तेणं भंते ! एवं एत्थवि मलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा णेयवा जाव वीयं ॥ तइओ वग्गो सम्मत्तो ॥ २२ ॥३॥ : : : : : अह भंते ! वातिंगणे अल्लइ वोणुइ एवं जहा पण्णवणाए गाहाणुसारेण णेयव्वं जाव गंजपाडणाराति अंकोलाणं एएसिणं जे जीवा मूलत्ताए वनमंति एवं एत्थवि : अहो भगवन् ! अस्थिक, सिंदुक, बोर, कबीठ, अंबाडग, वीजोरा, बील आमलग, फणम, दाडिम, अंसोठ अंबर, वड, न्यग्रोध नंदीवृक्ष, पीपल. सतर, पीलखो, कादम्बरी कुछुम्बरी, देवदारु तिलक, लहुअ छत्रीह. सरीष. सप्तपर्ण, दधिपर्ण लोध्रव, चंदन, अर्जन, निंब, कुडग, कलंठ, इन सब में जा जांच मुल पने र उत्पन्न होवे इत्यादि सब अधिकार तालवगे जैसे कहना. यह बावीसवा शतक का तीसरा उद्देशा संपूर्ण हुवा ॥ २२ ॥ ३ ॥ . अहो भगवन् ! बेंगन, आलु बोणूड, यों जैसे पनवणा के पहिले पद में गाथा. कही इस अनुसार यात् प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदव महायजी ज्वालाप्रमादी भावार्थ |
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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