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________________ - "4" इता.) सूत्र : :उसिणे सव्वणिः ११, सत्वे मठए- सल्वेगुरुए सवेउसिणे सव्वे लुक्ख १२, सव्वे .. - मउए सव्वे लहुए सव्वेसीए सव्वेणिढे ३३, सव्वेमउए, सव्वे. लहुए सव्वेसीए सव्वे .... लुक्खे. १४ सव्वेमउए सव्वे लहुए सव्वै उम्णेि सवे गिद्धे १५, सव्वे मउए सव्ये - लहुए सव्वे उसिणे सब्वे लुक्खे; १६ एएसौलस भंगा॥ जइ पंचफासे-सव्व कक्खडे 3. सत्वगुरुए सव्वसाए, देसे गिद्धे देसे लुक्ख १: सव्वे कक्खडे, सव्वे गुरुए. सव्वेसीए दूस, गिद्धे देसा लुक्खा २, . सव्वे कक्खड़े सव्वे गुरुए सव्वेसीए देसा णिहा दुसालक्खा ३, सव्वेकक्खडे, .. सव्वेगुरुए, सव्वेसीए, देसाणिद्धा देसालुक्खा ४, भावाथसब उष्ण व सब स्निग्ध १२ सत्र मुह सब गुरु सब ऊष्ण व सब रूक्ष १३ सब मुदु सब लघु सब शीत सब स्निग्ध १.४ सब मृद सब लघु मध, शीत सय रूक्ष १५ सब मृदु सब लघु सब ऊष्ण व सब स्निग्ध १६ सब मृदु सव लघु मब ऊष्ण व सव रूक्ष यो मोलह भांगे होनें. यदि पांच स्पर्श होवे तो १ सय ककर्श सब गुरु सेव शीत देश स्निग्ध देश रूक्ष २ सब कर्कश सब गुरु सब शीत देश स्निग्ध एक वचन दिश स अनेक वचन ३ सब कर्कश सब गुरु सत्र शीत देश स्निग्ध देश रूक्ष- अनेक वचनांतपद ४ मर्व कर्कश सर्व गुरु: सर्व शीत देश निरभ देश: रूक्ष यह एक चौभंगी कर्कन्न गुरु व शीत की स्निग्ध रूक्ष की बसियां शतक का पांचवा उद्देशा" YEAREssa Sardaadiwancial
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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