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________________ भावार्थ १९- पंचमांग विवाहपण्णेति ( भगवती ) सत्र सिय कालस्य णीलस्य लोहियगाय हालिदगेय ३, सिय कालएय नीलगाय लोहियगेय हालिय ४, सिंय कालगाय णीलएय लोहियगेय हालिद्दगेय ५ ॥ एएपंच भंगा || सिय कालएय नीलएय लोहियएय सुक्किलएय, एत्थवि पंच भंगा ॥ एवं कालगणील गहालि सुकिल्लएसुवि पंच भंगा ॥ कालगलोहिया लिद क्लिएसुवि पंच भंगा || नीललोहियहालिदम किल्लसुत्रे पंच भंगा ॥ एव मेते चउक्कसंजोएणं पणवीसं भंगा ॥ जइ पंचत्रण्णे कालएय णीलएय लोहिय लाल पीला व शुक्र में सात भांगे या तीन संयोगी ७० भांगे होते हैं. यदि चार वर्ण होवे तो स्यात् (काला, हरा, लाल व पीला २ स्यात् काला, हरा, लाल एक वचन और पीला अनेक वचन ३ स्यात् ( काला, हरा एक वचन लाल अनेकवचन पीला एकवचन ४ स्यात् काला एक वचन हरा अनेक लाल ब पीला एक वचन ५ स्यात् काला अनेक हरा लाल व पीला एक यो पांच भांगे वैसे ही स्यात् काला हरा (लाल व शुक्ल उन में भी पांच, ऐसे ही काला, हरा, पीला व शुक्ल इन में पांच भांगे, {काला, लाल, पीला व शुक्र में पांच भांगे. इरा, लाल, पीला व शुक्ल में पांच भांगे. यो चार संयोगी पच्चीस भांगे हुवे. यदि पांच वर्ण होवे तो काला, हरा, लाल, पीला व शुक्र यो एक ही बीसवा शतक का पांचवा उद्देशा 4 + २४४५
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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