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पंचांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र
भंगा ३, ॥ रसा जहा वण्णा ॥ जइ दुफासे सिय सीएय गिद्धेय, एवं जहेव दुपदे. सियस तहेव चत्तारि भंगा ॥ जइ तिफासे सव्वे सीए देसे गिद्धे देसे लुक्खे १ सवे सीए देसे गिद्धे देसा लक्खा २ सव्वे सीए देसा णिहा देसे लुक्खे ३, सब्वे उसिणे |२४३७ देस णिद्धे देसे लक्खे एत्थवि भंगा तिणि ६॥ सव्वे गिद्धे देसे सीए, देसे उसिणे भंगा तिष्णि ९ । सव्वे लक्खे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिणि १२ ॥ जइ
चउफासे देसे सीए देसे उसिणे, देसे गिद्धे देसे लुक्खे १, देसे सीए देसे उसिणे, ई देसे णिद्धे, देसा लुक्खा २, देसे सीए देसे उसणे देसा णिहा, देसे लुक्खे ३,
जैसे कहना. अब स्पर्श के भांगे कहते हैं, यदि दो स्पर्श पावे तो स्यात् शीत व स्निग्ध यों जैसे द्विपदेशिक स्कंध का कहा वैसे ही यहां चार भांगे करना. यदि तीन स्पर्श होवे तो सर्व शीत देश स्निग्ध . देश रूक्ष २ सर्व शीत एक स्निग्ध दो रूक्ष अनेक वचन ३ सर्व शीत जिस में दो स्निग्ध एक रूक्ष ४ सर्व ऊष्ण जिस में एक स्निग्ध एक रूक्ष, एक आकाशदेश अवगाहना आश्री वगैरह छ भांगे होवे. सर्व स्निग्ध एक शीत एक उष्ण एसे तीन और सर्व रूक्ष एक शीत एक ऊष्ण यों तीन सत्र मीलकर बारह मांगे होते हैं. यदि चार सर्श होवे तो एक शीत, एक ऊष्ण जिस में एक स्निग्ध एक रूक्ष एक आकाश प्रदेश । अवगाहित होने से एक वचन ही ग्रहण किया है. २ एक शीत एक ऊष्ण जिस में एक निग्ध अनेक रूका
88 वीसवा शतक का पांचवा उद्देशा
भावार्थ