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________________ सूत्र भावार्थ 4 अनुवादक- बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी ..करणे, खेचकरणे, काल करणे, भवकरणे, भाव करणे ॥ १ ॥ पेस्ड्याणं भंते ! कइ विहे करणे प० ? गोयमा ! पंचविहे करणे पं० तंजहा-दव्य करणे जात्र भाव करणे ॥ एवं जाव माणिया ॥ २ ॥ कइविहाणं भंते ! सरीरकरणे प० ? गोयमा ! पंचविहे सरीरकरणे पतंजहा ओरालिय सरीरकरणे जात्र कम्मासरीर करणे, एवं जात्र माणिया जस्सजइ सरीराणि ॥ ३ ॥ कइविणं भंते ! इंदिय करणे प० ? गोयमा ! पंच इंदियकरणे प० तं सोइंदिय करणे जाब फासिंदिय करणे, एवं जाव बेमाप्रिया जस्स जइ इंदियाई ॥ एवं एएणं कमेणं भासा करणे चउविहे मणकरणे करण के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! करण के पांच भेद कहे हैं. जिन के नाम. १ द्रव्य करण १२ क्षेत्र करण ३ काल करण ४ भत्र करण और ५ भाव करण ॥ १ ॥ अहो भगवन् ! नारकी को कितने करण कहे हैं? अहो गौतम ! नारकी को पांचों करण कहे हैं. ऐसे ही वैमानिक पर्यंत जानना ||२|| अहो भगवन् ! शरीर करण के कितने भेद कहे हैं ? शरीर करण के पांच भेद कहे हैं ? १ उदारिक शरीर करण यावत् कार्माण शरीर करण. ऐसे ही वैमानिक पर्यंत जानना ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! इन्द्रिय करण के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम । इन्द्रिय करण के पांच भेद कहे हैं. अहो गौतम ! * प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायत्री ज्वालाप्रसादजी २४९६
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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