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________________ २३६७ रायगिहे जाव एवं क्यासी अणगारेणं भंते ! भावियप्पा असिधारंवा खुरधारवा ओगाहेजा ? हंता ओगाहेजा ॥ सेणं तत्थ छिज्जेजवा भिज्जेजवा ? णो इणटे सम? णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, एवं जहा पंचमसए परमाणु पोग्गले वत्तव्वया जाव.. अणगारेणं भंते ! भावियप्पा उदावत्तंवा जान णो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ १ ॥ परमाणुपोग्गलेणं भंते! वाउयाएणं फुडे बाउयाएवा परमाणुपोग्गलेणं फुडे? गोयमा! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे णो वाउयाए पोग्गलेणं फुडे । दुपदेसिएणं भंते! नववे उद्देशे में भवि द्रव्य का कथन किया. अब भविद्रव्य अनगार का कथन करते हैं. राजगृह । नगर में यावत् गौतम स्वामी ऐसा बोले अहो भगवन् ! भावितात्मा अनगार असिधारा अथवा क्षुरधारा में को क्या अवगाहे अर्थात् उस पर क्या चल सके ? हां गौतम ! खगधारा या क्षुरधारा पर चल सके. . वे क्या वहां छेदावे भेदावे ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है. उन को शस्त्र नहीं अतिक्रमता क्यों कि वैकेयलब्धि से चलते हैं. ऐसे ही सब पांचवे शतक में परमाणु पुद्गल की वक्तव्यता कही वैसे ही यहां कहना यावत् भावितात्मा अनगार पानी से आवते यावत् वहां भी शस्त्र अतिक्रमें नहीं. ॥ १॥ अहो । 17 भगवन् ! परमाणु पुद्गल क्या वायुकाया से स्पर्श अथवा वायुकाया परमाणु पुद्गल से स्पर्श ? अहो । अठारहवा शतक का दशवा उद्दशा थावा 48+ पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भग
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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