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________________ सूत्र भावार्थ 8 पंचांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र ; गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकति जाव णो देवाउपकरेति ॥ ५ ॥ परंपरोत्रवण्णगाणं भंते ! रइया किं रइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्ख जोणियाउयं पकरोतिं, मणुस्साउयं पकरेंति, णो देवाउयं पकरेंति ॥ ६ ॥ अणंतर परंपर अणुववण्णगाणं भंते ! णेरंइया किं णेरइयाउयं पुच्छा ? गोयमा ! इयाउ करेंति जाव णो देवाउयं पकरेंति एवं जात्र वेमाणियाणं, णवरं पंचिदिय तिरिक्खजोणिया मणुस्साणय परंपरोववण्णा चत्तारिवि आउयं बंधंति से सं आयुर्वेत्र कहते हैं. अहो भगवन्! अनंतर उत्पन्न हुए नारकी क्या नरकायुष्य का बंध करते हैं तिर्यंच के आयुष्य का बंध करते हैं. मनुष्य के आयुष्य का बंध करते हैं अथवा देवता के आयुष्य का बंध करते हैं ? अहां गौतम ! अनंतरोत्पन्न नारकी नरक का आयुष्य बांधे नहीं यावत् देव का आयुष्य बांधे नहीं क्यों कि उस अवस्था में वैसे अध्यवसाय का अभाव है || ५ || अहो (नारकी क्या नारकी का अयुष्य बांधते हैं यावत् देव का आयुष्य बांधते हैं भगवन् ! परंपरा उत्पन्न } ? अहो गौतम ! नारकी का आयुष्य नहीं बांधते हैं परंतु मनुष्य व तिच का आयुष्य बांधते हैं. और देवता का आयुष्य नहीं बांधते हैं ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! अनंतर परंपरा अनुसन्न नारकी क्या नरक का आयुष्य बांधते हैं यावत देवका आयुष्य बांधते हैं ? अहो गौतम ! नरक का आयुष्य नहीं बांधते हैं यावत् देवका आयुष्य चंदवा शतक का पहिला उद्देशा १९१₹
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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