SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व भणी चारे कवीजा वाजिंत्रो वामान अंगलूछणा क श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नात्रादि विधि ॥६८॥ (२७) आ अभिषेक मंत्र भणी चारे कळश वडे अभिषेक करे । अभिषेक करती वखते बे श्रावक बे बाजु चामर वींजे, बे श्रावक घंट वगाडे, बीजा वाजिंत्रो वगाडे, पाठ भणाय त्यारे मौन रहे । पाठ पूर्ण थया बाद अभिषेक करे । ते पछी बीजा चार श्रावक चारे प्रतिमाने अंगलूछणां करे । चार वृद्ध श्रावक पूजा करे । बे बाजु राखेला दीवामां बे श्रावक घी पूरे । एक श्रावक धूप करे । बीजा चार श्रावक एक मोटा बाजोठ उपर रातुं वस्त्र पाथरी ते उपर अखंड चोखानी ढगली करे, ते उपर पान मूके, ते उपर सोपारी तथा त्रांबानाणुं मूके । बीजो शुद्ध वस्त्र पाथरी फळ, मोदक एक एक सर्व जात- मूके तथा बे जातनुं सुखडी तथा मेवो वगेरे जे मेळव्यु होय तेनुं एक एक नंग चढावे । तथा एक श्रावक दरेक अभिषेक वखते यखाशक्ति लूंछणुं करी जैन याचकने आपे । (२८) आ प्रमाणे दरेक स्नात्र वखते करवू । पछी चंदन चढावीने चार सेवंत्राना फूल प्रतिमाने माथे मूके । स्नात्र समये पण शिरप्रदेश फूलथी शून्य न राखवो । आ प्रमाणे १०८ वार दरेक अभिषेके जुदी जुदी पूजा करवी । एम १०८ स्नात्र पूजा थया पछी जो कोठीमां पाणी वध्युं होय तो बीजा स्नात्रीयो पासे तथा १०८ नाळचा (वा) ना कळश वडे स्नात्र धणी पासे पखाल करावीए । पछी खांड तथा ऊना पाणी वडे प्रतिमा शुद्ध करीए । पछी संक्षेपे पूजी स्नात्रकार चैत्यवंदन करे, स्तवननी जग्याए अजितसंति कहे. (विध्यंतरे आठ थोय वडे देव वांदे) (२९) त्यार पछी अभिषेकना चार अथवा आठ कळश श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥६८॥ For Personal Price Only
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy