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________________ श्री अष्टोत्तरी व शान्तिस्नानादि विधि ॥ २५ ॥ (७) ॐ नमो बुधाय श्री श्री श्रः द्रः स्वाहा । ए मंत्रनी केरबानी (नीलमणिनी) एक नवकारवाळी गणवी.(८)ए ज मंत्रे फूल, वासचोखा अने पाणी पसलीमा लई त्रण वार अर्ध्य देवो. (९)बे हाथ जोडी नीचे प्रमाणे प्रार्थना करवी - विमलानन्तधर्माराः,शान्तिः कुन्थ मिस्तथा । महावीरश्च तन्नाम्ना, शुभो भव सदा बुध ! ॥१॥ ॥ इति बुधपूजा ४ ॥ । ५. अथ गुरुपूजा । ॐ ग्राँ ग्री D बृहस्पतये सुरपूज्याय नमः स्वाहा । ए मंत्र वडे चोखा वासफूले अष्टोत्तरी व शान्तिस्नात्रादि वधावीए. (२) गोरुचंदन वडे आलेख करवो. (३) ॐ नमो बृहस्पतये सवाहनाय । विधि सपरिकराय सायुधाय अमुकगृहे बृहत्स्नात्रमहोत्सवे आगच्छ आगच्छ स्वाहा । ए मंत्रे आह्वान. (४) अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा । स्थापन. (५) पूजाबलिं गृहाण गृहाण स्वाहा । निमंत्रण, मुद्रादि पूर्ववत्. (६) पूर्ववत् मंत्रपूर्वक अष्टप्रकारी पूजा करवी. १. चंदनं श्री ॥२५॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ininelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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