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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १५६ ॥ - माँ पद्मावती देवी की आरती . देवी पद्मावती आरती तुमारी, मंगलकारी जय जयकारी ॥१॥ पार्श्व प्रभु छे शिर पर ताहरे, भक्ति करंता तुं भक्तोने तारे ॥ देवी० ॥२॥ उज्ज्वल वर्णी मूरति शुं सोहे निरखी हरखी सहुजन मोहे ॥ देवी० ॥३॥ कुर्कुट सर्पना वाहने बेठी, भद्रासनथी तुं शोभे छे रूडी ॥ देवी० ॥४॥ सप्त-फणा शोभे मनोहारी, नयन मनोहर परिकरधारी ॥ देवी० ॥५॥ कमल पाशाकुंश फल रुडु संगे, चारभुजामां कलामय अंगे ॥ देवी० ॥६॥ विविध स्वरूपे भिन्न-भिन्न नामे, जग पूजे सहु सिद्धि कामे ॥ देवी० ॥७॥ शिघ्र फला तुं संकट टाले, विघ्न विदारे वांछित आले ॥ देवी० ॥८॥ धरणेन्द्रदेवना देवी छो न्यारा, पार्श्व भक्तोना दुःख हरनारा ॥ देवी० ॥९॥ खीवान्दी भवने पार्श्वनाथ मंडपे, दर्शन करतां दुःख सहु विसरे ॥ देवी० ॥१०॥ धर्म प्रतापे आशिष देजो, सुयश सिद्धिने मंगल करजो ॥ देवी० ॥११॥ श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि ॥१५६ ॥ in Education n ational For Personal & Private Use Only
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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