SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विविध पूजन संग्रह ॥ १५४ ॥ "जिस पद्मावती माँ के हाथ में पाश है। एक हाथ में फल है । एक हाथ वरद मुद्रा से युक्त है । एक हाथ में गजांकुश को धारण किया है। जो कमलासन पर बिराजमान है । तीन नेत्रों वाली तथा लाल पुष्पों के समान कांति वाली है पद्मावती माता ! मेरी रक्षा कर ।" मनोरथ का संकल्प . फिर साधक के मन में जो भी संकल्प हो उसके अनुसार तीन बार दृढ संकल्प करके और निम्न मंत्र २७ बार बोलना, और प्रत्येक मंत्र पर लाल धागे पर १-१ गांठे लगाना : “ॐ पद्मावती, पद्मनेत्रे, पद्मासने लक्ष्मीदायिनि वांच्छापूर्णि रिद्धि सिद्धिं जयं जयं जयं कुरु कुरु स्वाहा" आशीर्वाद "लक्ष्मी सौभाग्य करा जगत सुखकरा वन्ध्या सुपुत्रार्पिता । नानारोग विनाशिनी अघहरा, पुण्यात्मानां रक्षिका । श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि ।। १५४ ॥ For Personal Private Use Only
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy