________________
विविध पूजन संग्रह
।। १५२ ।।
Jain Education International
वस्त्र - पूजा
"श्री मन् महाचीनदूकूलनेत्रे, सत्क्षौमकौशेयक चीन वस्त्रे । शुभांशुके स्येन मणि प्रभांगी, यजामहे पन्नगराजदेवि ॥”
"अति उत्तम बहुमूल्य रेशमी वस्त्र जैसे नेत्रवाली, श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, निलमणी के समान कांति जैसे अंगो वाली है पन्नगराज देवि पद्मावती ! आज मैं उत्तम रेशमी वस्त्रों के द्वारा आपकी पूजा कर रहा हूँ ।"
यह श्लोक बोलकर साड़ी, चांदी का छत्र, तथा सवा पांच रूपये माताजी को समर्पित करना । "ॐ ह्रीं श्रीं पद्मावत्यै वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा । "
( अगर १६ शृंगार चढ़ाने हो तो उपरोक्त मंत्र नहीं बोल कर आगे लिखे अनुसार बोलना । ) आभूषण-पूजा
"कांची सूत्र - विनुत-सार-निचितैः कैयूर - सत्कुण्डलै- । र्मञ्जीरांगदमुद्रिकादि मुकुट प्रालम्बिका वासकैः ॥
For Personal & Private Use Only
श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन विधि
।। १५२ ।।
www.jainelibrary.org