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________________ विविध पूजन संग्रह ॥ ११२ ॥ (५) अपराजितादेवी (पंचम देरी) ध्यायति या सदाऽर्हन्तं, भक्तानामिष्टसिद्धये । संतुष्टापराजिता देवी गौतमस्वामिनं पूजये मुदा ॥ ॐ ह्रीं क्लीं ब्लीं श्रीं ह्स्क्ल ह्रीं ऐं श्री गुरुगौतमस्वामिपूजने जिनशासनवल्लभा-अपराजितायै इदं अयं पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चरु फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ॥ (६-७) त्रिभुवनस्वामीनी-गणिपिटक यक्ष (षष्ठ व सप्तम देरी पूजन) वाणी तिहअणसामिणि, सिरिदेवीजक्खरायगणिपिडगा । गहदिसिपालसुरिंदा, सयावि रक्खंतु जिणभत्ते ॥ ॐ ह्रीं क्लीं ब्लीं श्रीं ह्स्क्ल ह्रीं ऐं श्री गुरुगौतमस्वामिपूजने जिनशासनवल्लभा| गणिपिटकयक्ष-त्रिभुवनस्वामिन्यै इदं अयं पाद्यं गन्धं पुष्पं धूपं दीपं चरु फलं स्वस्तिकं यज्ञभागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतामिति स्वाहा ॥ श्री गौतमस्वामी पूजनविधि ॥११२॥ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600250
Book TitleVividh Pujan Sangraha
Original Sutra AuthorChampaklal C Shah, Viral C Shah
Author
PublisherAnshiben Fatehchandji Surana Parivar
Publication Year2009
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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