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________________ साधुसाध्वी ऊपर लिखे मुजब एक थुई से अवले देववंदन करें, फिर सवले कपडे पहर कर आठ थुई-पांच शक्रस्तवसे । अंतिम ॥१२॥ सवले देववदंन करें, परन्तु सवले देववंदन करते समय सबसे बडा साधु आगे रहे और छोटे छोटे सब एक || देववंदन विधि दूसरे के पिछे रहें। अन्य गांव से एक-समाचारी वाले छोटे या बडे किसी साधु के काल करने के समाचार आवे तो अवला काजान निकालें और अवले देववंदन भी नहीं करें किन्तु सवला काजा निकाल कर आठ थर्ड पांच शक्रस्तव से सवले देववंदन करें और छोटी या बडी साध्वी के काल करने के समाचार आवे अथवा उसी गांव में है, साध्वी काल करे तो केवल साध्वियाँ तथा श्राविकादि ऊपर लिखे मुजब देववंदन करें। ॥श्रावक-कर्त्तव्य ॥ जब मृतक के सिरपर वास-क्षेप डालकर साधु वोसिरा देवें तब श्रावक लोग मृतक के मुख में सोना, ॥१२॥ * चांदी, तांबा, प्रवाला (मुंगिया) तथा मोती ये पंचरत्न डाल कर दोनों होठ भेले करके मुखपर मुंहपत्ति NAGAR lain For Personal Private Use Only bay
SR No.600212
Book TitleSadhu Sadhvi Aradhana tatha Antkriya Vidhi
Original Sutra AuthorBuddhimuni
Author
PublisherJain Shwetambar Shravikashram Jaipur
Publication Year1934
Total Pages18
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
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