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________________ ॥३२॥ साधुसाध्वी है व तुहु सामिउ, तुहुं माय बप्पु, तुहुं मित्त पियंकर, तुहुँ गइ, तुहुं मइ, तुहुं जि ताणु, तुहुँ गुरु, खमंकरु॥ प्रतिक्रमण हउं दुहभरभारिउ वराउ राओल निव्भग्गउ, लीणउ तुह कमकमलसरणु जिण पालहि चंगउ ॥ २० ॥ A. पई किवि कयनीरोय लोय किवि पावियसुहसय, किवि मइ मंतमहंत केवि किवि साहिय सिवपय ॥2 | किवि गंजिअरिउवग्ग केवि जसधवलिअभूअल, मई अवहीरहि केण पाम सरणागयवच्छल ॥ २१ ॥ | पच्चुवयारनिरीह नाह निप्पण्णपओअण, तुह जिणपास परोवयार करुणिकपरायण ॥ सत्तु-मित्तसम- &| चित्तवित्ति नय-निदिअसममण, मा अवहीरिअ जुग्गउ वि मई पास निरंजण ॥ २२ ॥ हउं बहुविहदु-14 हतत्तगत्तु तुहं दुहनासणपरु, हउं सुयणहकरुणिकठाणु तुहं निरु करुणापरु ॥ हउं जिणपास असामि& सालु तुहूं तिहुअणसामिअ, जं अवहीरहि मई झंखंत इय पास न सोहिअ ॥ २३ ॥जुग्गा-जुग्गविभा|ग नाह नहु जोअहि तुह समा, भवणुवयारसहाव भाव करुणारस-सत्तम ॥ सम-विसमं किं घणु नियइ | भुवि दाह समंतओ ! इय दुहबंधव पासनाह मई पाल थुणंतउ ॥ २४ ॥ न य दीणह दीणय मुएवि |8|॥३२॥ अन्नुवि किवि जुग्गय, जं जोइविउवयारु करइ उवयारसमुज्जय॥ दीणह दीणु निहीणु जेण तुह नाहिण ४ CACHCARRARY Jain Education international For Personal Private Use Only
SR No.600208
Book TitleSadhu Pratikramanadi Sutrani
Original Sutra AuthorJagjivan Jivraj Kothari
Author
PublisherJagjivan Jivraj Kothari
Publication Year1925
Total Pages92
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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