________________
सत्र
प्रतिक्रमण साधुसाध्या रयमलं. गइं गयं मासयं विउलं ॥ ३५॥ गाहा ॥ तं बहुगुणप्पसायं, मुक्खसुहेण परमेण अविसायं । ॥३०॥ नासेउ मे विसायं कुणउ अ परिसावि य पसायं ॥ ३६ ॥ गाहा ॥ तं मोएउ अनंदि पावेउ अनंदिसे- I
णम-भिनंदि । परिसा वि अ सुहनंदि, मम य दिसउ संजमे नंदि ॥ ३७॥ गाहा ॥ पक्खिय चाउ-12 | म्मासियसंवच्छरिए अवस्स भणियब्यो । सोअब्वो सब्वेहिं, उवसग्गनिवारणो ऐसो ॥ ३८ ॥ जो पढइ | जो अनिसुणइ, उभओ कालंपि । अजिय संतिथयं नहु हुंति तस्स रोगा पुव्वुप्पुना विणासंति ॥३९॥४॥
जइ इच्छह परमपयं अहवा कित्तिं सुवित्थडां भुवणे । ता तिल्लुक्कुधरणे जिणवयणे आयरं कुणह 8/ 18॥ ४० ॥ इति आजेत-शान्तिस्तवनं संपूर्णम् ॥
॥अथ जयतिहअण स्तोत्रम ॥ जय तिहुअणवरकप्परुक्ख ! जय जिण ! धन्वंतरि !, जय तिहअणकलाणकोस ! दुरिअकरिके-12 सरि ! ॥ तिहु अणजणअविलंघिआण ! भुवणत्तयमामिअ ! कुणसु सुहाई जिणेस ! पास ! थंभणय-12॥३०॥ पुरटिअ ! ॥ १॥ तइंसमरंत लहति झत्ति वरपुत्त कलत्तइ, धण्ण सुवन्न हिरण्णपुण्णजण भुंजइ रजइ।
Juin tuction inational
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org