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घरणिधरपवरा इरे असारं ॥ १५ ॥ कुसुमलया || सत्ते य सया अजिअं, सारीरे अ बले अजियं ॥ तव | संजमे अ अजियं, एस थुणामि जिणमजियं ॥ १६ ॥ भुअगपरिरंगियं ॥ सोमगुणेहिं पावर न नव| सरयससी, तेअगुणेहिं पावइ न तं नवसरयरवि || रूवगुणेहिं पावइ न तं तियसगणवई । सारगुणहिं पावर न तं धरणिधरवई ॥ १७ ॥ खिजिअयं ॥ तित्थवरपवत्तयं तमरयर हियं धीरजणथुअच्चिअं चुअकलिकलुसं. संति-सुहपवत्तयं तिगरणपयओ संतिमहं महामुणिं सरणमुवणमे ॥ १८ ॥ ललिअयं ॥ विणओणयसिरिरइअंजलिरिसिगणसंधुअं थिमिअं । विबुहाहव-घणवइ-नरवइ थुअमहिअच्चि बहुसो ॥ अइ रुग्गयसर यदिवायरस महियसप्पभं तवसा । गयणंगणविहरणसमुइअचारणवंदिअं सिरसा ॥ १९ ॥ किसलयमाला || असुरगरुलपरिवंदियं, किन्नरो - रगनमंसियं ॥ देवकोडिसयसुंथुअं, समण संघपरिवदिअं ॥ २० ॥ सुमुहं ॥ अभयं अहं अरयं अरुयं । अजिअं अजिअं पयओ पण ॥ २१ ॥ विज्जवल - सियं ॥ आगया वरविमाणादिव्वकणगरह -तुरय- पहकरसएहिं हुलिअं । ससंभमोअरणखुभिअ- लुलियचलकुंडलं-गय-तिरीडसोहंतमउलिमाला ॥ २२ ॥ वेडओ || जं सुरसंघा सासुरसंघा वेरविउत्ता भत्तिसु
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