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साधुसाध्वी
॥ २७ ॥
निरुभित्ता, सेलेसिं पडिवज्जइ ॥ तया कम्मं खवित्ताणं, सिद्धिं गच्छइ नीरओ ॥ २४ ॥ जया कम्मं खवित्ताणं, सिद्धिं गच्छइ नीरओ ॥ तया लोगमत्थयत्थो, सिद्धो हवइ सासओ || २५ || सुहमायगस्स समणस्स, साया लग्गस्स निगामसाइस्स || उच्छोलणापहोअस्स, दुलहा सुगड़ तारिसगस्स ॥ २६ ॥ तवोगुणपाणस्स, उज्जुमइ खंति संजमरयस्स || परीसहे जिणंतस्स, सुलहा सुगइ तारिसगस्स ॥२७॥ पच्छा वि ते पयाया, खिप्पं गच्छंति अमरभवणाई ॥ जेसिं पिओ तवो संजमो अ, खंती अबंभचेरं च ॥२८॥ इअं छज्जीवणिअं सम्मदिट्टी सया जए || दुल्लहं लहित्तु सामन्नं, कम्मुणा न विराहिज्जासि ॥ त्ति बेमि ॥ २९ ॥ उत्थं छज्जीवणिआ णामज्झयणं संम्मत्तं ॥ ४॥
॥ श्री अजित शान्तिस्तवनम् ॥
अजियं जियसव्वभयं, सतिं च पसंतसव्वगयपावं || जयगुरु संतिगुणकरे दोवि जिणवरे पणिवयामि ॥ १ ॥ गाहा ॥ ववगयमंगुलभावे, तेहं विउलतव निम्मलसहावे || निरुवममहम्पभावे, थोसामि सुदिट्ठसम्भावे ||२|| गाहा ॥ सव्वदुक्खपसंतीणं ॥ सव्वपाव पसंतीणं ॥ सया अजियसंतीणं, नमो अ
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प्रतिक्रमण
सूत्र.
॥ २७ ॥
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