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________________ चरित्र FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE ॥ श्रीजिनाय नमः॥ ॥ अथ श्रीयशोधरचरित्रं प्रारभ्यते ॥ (कर्ता श्रीमाणिक्यसूरिः) उपावी प्रसिह करनार पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज ( जामनगरवाळा ) ॥ प्रमथः सर्गः प्रारच्यते ॥ करामलकवश्विं । कलयन केवलश्रिया ॥ अचिंत्यमाहात्म्यनिधिः । सुविधिर्बोधयेऽस्तु वः ॥१॥ नन्मीलंती शंखकुंदावता । नानारूपा बाढमप्राप्तपारा ॥ विश्वे विश्वव्यापिनी कापि नित्या। जैनी शक्तिः पातु वागीश्वरी वः ॥॥ अथातः संप्रवक्ष्यामि । करुणादीरसागरं ॥ यशोधरनरेंइस्य । चरितं विश्वपावनं ॥ ३ ॥ तदष्टनवसंबई। विपाकैः कर्मसंन्नवैः ॥ एकाग्रमनसः संतः । शृण्वंतु जिननाषितं ॥४॥ पुराणं तस्य राजर्षे-मध्यं वैराग्यकारणं ॥ श्रुत्वा शुझिमवाप्नोति । यावक्रीवं हि मानवः ॥ ५ ॥ शतानि सप्त दत्याना-मर्ज ॥ १ ॥ For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.600192
Book TitleYashodhar Charitra
Original Sutra AuthorManikyasuri
Author
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1910
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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