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________________ al" एटले उन्नरावा लाग्यु" तेफरीथी पाणीवमे शांत प्रायने एटले उन्नरातुं अटकेले; माटे सत्पुरु- स्थान षोनी मित्राई एवी बने पकवाली होय रे ॥१॥ ढाल ॥ एकदिन राजा अरधी रात, राजकन्याने पूरे वात ॥ पुरुष षिणी किम अश् सखी, ए यौवनवय शुंकरे दखी ॥ १७ ॥ salसांनल बहेनी कहुं विरतंत, नर नपर मुजष अत्यंत ॥ जातिस्मरणतणे प्रन्नाव, राजा पूछे alपामी दाव ॥१॥केम श्रयं जातिस्मरण ज्ञान, प्ररवन्नव दीठो जिएगध्यान ॥ लाजकरी कुमरी नचरे, मृवाणी मुखें अमृत करे॥ २० ॥ देखी करि मिथुन संनोग, मांहोमांहे प्रीति संयोगsa Salराय कहे मांझीने वात, मुज आगल कहे गुणविख्यात ॥ १ ॥ तद्यथा ॥ हस्तिमिथुन विंध्याचल sal वनें, निबिडस्नेह रहे एकमनें ॥ अन्य दिवस तिण वन विकराल, दावानलनी नगी जवाल॥२२॥ Valबाले तरुवर मोटां काम, जाणे आवी जमनी धाम ॥ मरण तणो लय पामी जीव, नाग दहदिशि Stall करता रीव ॥ २३॥ नखरखेत्र निहाले सदु, तिहां आतीने नन्ना बहु ॥ सूकर व्याल मृगादिक Stallक्रूर,थयुं जिनहर्ष गम नरपूर ॥२४॥ ॥दोह॥ । हस्तिमिथुन देखीकरी, जीवनर्या ते गम॥ अनुकंपा प्राणी तणी, भावी मनमा ताम॥१॥तेह Naगम गेमीकरी, मिथुन गयु अन्यत्र ॥ दावानल बलतो थको, आवी पोहोतो तत्र ॥२॥ करि मूकी Salकरिणी नणी, बलवा केरी नीति ॥ ते क्यांही नासी गयो, मूढ न पाली प्रीति ॥३॥ कोण केहनो वालो सगो, कोण केहनो परिवार ॥ जाये नन्ना मेलीने, मृत्यु आवे जेणीवार ॥ ५॥ सुखनीवेला | सहु सगुं, सहुनो वधतो नेह ॥ दुःखनी वेला देखीनं, तुरत देखामे देह ॥ ५॥ वजपको शिर JainEdu For Personal and Private Use Only
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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