SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 254
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीश ॥१२॥ D00 | त्रिजगमोझार ॥ ना० ॥ १२॥ एवं आलोची करी रे, पृथिवीपति घीमान ॥ जा० ॥ कृतात्मा सदुने सदा रे, आपे संपददान ॥ जा० ॥ १३ ॥ पाले राज इसी परे रे, टाले रीति अन्याय ॥ भा० ॥ दुख नांगे दुखीयातणां रे, पुण्यना करे उपाय ॥ जा० ॥ १४॥ लोक सदु एम बोले रे, नपकारी नरराय॥ जा० ॥ वली विशेष दानथी रे, कीर्त्ति दिगंते जाय ॥ ज० ॥ १५ ॥ रत्नचूक निजपुत्रने रे, रत्नशेखर भूपाल ॥ जा० ॥ कांचनपुरनुं सांनब्युं रे, पाम्यो राज्य रसाल || जा० ॥ १६ ॥ मन विकस्युं तन नल्लस्युं रे, हियमे वाध्यं हेज ॥ जा० ॥ पुण्ये पुत्र सुखी थयो रे, पुण्यें वाध्युं तेज ॥ ना ॥ १७ ॥ मित्र सहित बोलावियो रे, रत्नशेखर नृप ताम ॥ ना० ॥ पितुरादेश मानी करी रे, शीघ्र आव्यो निजधाम ॥ जा० ॥ १८ ॥ रत्नचूडने प्रापी युंरे, रत्नशेखर नृप राज ॥ जा० ॥ पोते संजम आदर्यु रे, सहु सुख साधन काज ॥ ० ॥ १९ ॥ रत्नचूक नरनाथने रे, सोम सूर इसे नाम ॥ जा० ॥ जगत पूज्य बे सुत यया रे, धर्म न्याय श्रीय गम ॥ जा० ॥ २० ॥ युवराज कीधो सूरने रे, तामलिप्त नरराज ॥ जा० ॥ कंचनपुर दीयुं सोमने रे, सारे सदुनां काज ॥ जा॥२१॥ राज्य तणां सुख जोगवे रे, चारे मित्र संघात ॥ जा० ॥ कहे जिनहर्ष हवे सुणोरे, आागल रूडी वात ॥ ना ॥ २२ ॥ सर्वगाथा ॥ ७७ ॥ ॥ दोहा ॥ अन्य दिवस पंडित तिहां, आव्यो नृपदरबार ॥ मिथ्यादृष्टि शास्त्रना, कहेतो मूलविचार ॥ १ ॥ २६ ॥१२॥ वेद स्मृति पुराण मुख, सकल शास्त्र सुविचार ॥ सांभलीयें संस्कृत रच्यां, पंकितने सुखकार ॥२॥ जिनागम नानागमा, सहित दुर्गतम तेह ॥ सदुने जातां दोहिलां, एहथी नहि शिवगेह ॥ ३ ॥ Jain Educationa International DODHODODDDD For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy