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________________ जीववि० ॥ २ ॥ Jain Educationa मा गनया उहा हुंति ॥ कम्मा कम्मगं भूमी, अंतरदीवा मणुस्सा य ॥ २३ ॥ दसदा जवणादिवई, विदा वाणमंतरा हुंति ॥ जोइसिया पंचविदा, | विदा वेमा शिया देवा ॥ २४ ॥ सिद्धा पनरस नेया, तिचा तिचा सिने ॥ एए संखेवेणं, जीवविगप्पा समकाया ॥ २५ ॥ एएसिं जीवाणं, सरीर | माउं हिई सकायम्मि | पाणा जोणि पमाणं, जेसिं जं प्रति तं नणिमो ॥ २६ ॥ अंगुलप्रसंखनागो, सरीरमेगिंदियाण सवेसिं ॥ जोयण सदस्स मदियं, नवरं पत्तेयरुकाणं ॥ २७ ॥ बारस जोयण तिन्नी, गाऊच्या जोयणं च प्रणुकमसो ॥ बेइंदिय तेइंदिय, चरिंदिय देह मुच्चत्तं ॥ २८ ॥ धणुसयपं च पमाणा, नेरइया सत्तमाइ पुढवीए ॥ तत्तो भूणा, नेया रयणप्पदा | जाव ॥ २९ ॥ जोयण सदस्स माणा, मच्छा जरगा य गनया हुंति ॥ धणुद पुहुत्तं पंखी, जुप्रचार गाउ पुहुत्तं ॥ ३० ॥ खयरा धणुदपुहुत्तं, मुच्प्रगा For Personal and Private Use Only प्रकरण ॥ २ ॥ jainelibrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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