________________
K णा जोणीण हंति लरका, सत्वे चुलसी देव घिप्पंति॥समवन्नाईनेया, ए
गत्तेणेव सामन्ना ॥ ३०॥ एगिदिएसु पंचसु, बार सग तिसत्त अहवीसा य॥ पाविगलेसु सत्त अड नव, जल खह चनपय जरग जुयगे ॥ ३२ ॥अइत्तेरस IN बारस, दस दस नवगं नरामरे निरए ॥ बारस वीस पणविस, हुँति कुले को लाडि लरकाई॥३२॥ श्ग कोडि सत्तणवई, लरका सट्टा कुलाण कोडीणं ॥ संतु मजोणि सुरेगिं,दि नारया वियड विगल गनु जया ॥३३॥ अचित्त जोणि सु. रनिरय, मीसग्गने तिनेय सेसाणं ॥ सी सिण निरय सुर गन्न, मीसत्ते न सिण सेस तिदा ॥३२॥ दय गन संखवत्ता, जोणी कुम्मुन्नयाइं जायंति॥अ) रिद दरि चक्कि रामा, वंसी पत्ता सेस नरा ॥३श्या आनस्स बंधकालो, अबा ह कालोय अंत समजे या|अपवत्तण णपवत्तण,जवक्कम णुवकमा नणिया॥३२६ बंधंति देव नारय, असंख नर तिरि उमास सेसाक ॥ परनविया कसेसा, नि
Jain Education
For Personal and Private Use Only