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आईसु वुढं, समास बंधसा मित्तं ॥ २॥ इदीए काए, जोए वेए कसाय नाणे य ॥ संजमदंसणलेसा, जवसम्म सन्निहारे ॥२॥ | जिण सुर विवादारग, | देवानिरय सुडुम विगल तिगं ॥ एगिंदि यावरा यव, नपुमिचं हुं देवीं ॥ ३ ॥ पण मद्यागिइ संघय, कुखगइ नि इचि दग थीण तिगं ॥ जो तिरि डुगं तिरि, नराज नर नरल डुग रिसदं ॥ ४॥ सुर इगुण वीस वऊं, इगसन उ |दे बंधदिं निरया ॥ ति विणा मिचि सयं, सासणि नपु चनविणा बनुइ॥५॥ विष्णु ण बवीस मीसे, बिसयरि सिम्मंमि जिण नरान जुच्या ॥ इ रयणाइ सुजंगो, पंकाइसु तिचरदीणो ॥ ६ ॥ जिण माणु आन उदे, सत्तमिए नर डुगुच्च विष्णु मिठे | इग नवई सासाणे, तिरियान नपुंस चनवज्रं ॥ ७ ॥ प्रण चवीस विरदिया, सनर डुगुच्चाय सयरि मीस डुगे ॥ सतरसन उदि मिचे, |पज तिरिच्या विष्णु जिणादारं ॥ ८॥ विष्णु निरय सोल सास णि, सुराज प्रण ए
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