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कर्मचसय मजए सम्मा,णु पुश्वि खेवा बिअ कसाया ॥१५॥ मणुतिरिणु पुछि। ॥५६॥ विउव, उहग अणाश्कग सतर उ ॥ सगसी देसि तिरि गइ, आन नि
नजोअति कसाया ॥१६॥ अम्बे गसी, पमत्ति आदार जुअल परकेवा ॥ थीण तिगा दारग उग, उसयरि अपमत्ते॥१७॥ समत्तं तिमसंघय, ण तिअग ने बिसत्तरि अपुवे ॥ दासा बक्क अंतो,सहि अनिअट्टि वेअ तिगं |
रना संजलण तिगंब ,सही सुहमम्मि तुरिअलोनंतो॥ नवसंत गुणे गुण स,6ि रिसह नाराय ग अंतो॥रणा सगवन्न खीण चरिमि, निद्द छ । गंतो अचरिमि पणवन्ना ॥ नाणंतराय दंसण, चन बेन सजोगि बायाला॥२०॥ तिबुदया नरला थिर, खगइ जुग परित्त तिग उ संगणा ॥ अगुरु लहु वन्न । चन निमि,ण तेअ कम्माग संघयण॥२॥सूसर दूसर साया, साए गयरं च तीस वुबे ॥ बारस अजोगि सुनगा, इज जसन्नयर वेअणिअं॥२२॥ तस
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