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________________ वत्रा० ते नूं धणहणे, शेष करे सलकार ॥४॥ शशि रवि गया खेहथी, खोच्या जलधी अ नु० २ Uएगाध ॥ व्यंतर पिस चित्त चमकिया. मागी वो विराध ॥५॥ अति अविचिन्न प्रयास थी, आव्यो ममध मकार ॥श्रेणिकने पिस प्रश् खबर, सैन्यतणी तिणिवार ॥६॥ गढरोहो करि राय तव, बेगे फूऊण काज ॥राजगृही आव्यो तुरत, प्रद्योतन नर राज ॥ ७॥ * ॥ढाल १.मी.॥ (आघा आम पधारो प्रज्य, अम घर वहोरण वेला.-ए देशी.) P . अन्नयकुमरने तेमी श्रेणीक, पर दल वात प्रकासे ॥ चंप्रद्योतनने जीतेवा, बुद्धि 5 करो सुविलासे ॥ देखो कुमर राय, बुबिले अरि जीपे॥१॥ए आंकणी ॥ तव बोले कुमर सुणो स्वामी, तुमे चिंता मत करज्यो । दाय नपाये जीतशु एहने, ते निश्चय चित धरज्यो ॥ देखो०॥॥ एहने सैन्य घणो के साथे, पिण ए नाग्ये हीणो ॥ एदनो है। - जय करतां नही उर्लन्न, ए बल बुझे खीणो ॥दे॥३॥ एणे संग्रामे लाज गमावी, जय। PI नृप साथे (युइ) करीने ॥ मुगट नणी लेवा मन कीधो, मान अधिक मन धरिने ॥ दे०॥ १ लश्करना घणणाटथी पातालमा रहेला शेषनाग पण जय पाम्या. २ सरोवरनां पाणी सूकावा मांड्यां. ३ एने जीतवो ते कांड कठण नथी: कारण के. एनी पासे लश्कर ने पण बाईनथी. अपर नामे उम्मुह राना साथे मुगर लेवा माटे युद्ध करयुं, सां पण एणे पोतानी लाज गमावी हती. KYOSHO RASARASHISHISHISHIO** ४५ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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