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________________ 1-% ECE दियो तंत बे० ॥ ६ ॥१०॥ जो हुँ जाणुं तेहने बे०, तो था घरमांहि बे० ॥ बहिन करी 13 ने लेखवू बे०, सेवू तस नच्चांहि बे०॥०॥११॥ तुज विरहानल दाहथी बेप, 5:खणी डं fण काल वे०॥ वचनामृत जलथी करी बे०, गरो करिय संन्नाल बे०॥ ह ॥१श। एकण || लवार बोलाविने बे, पूरो अम मन कोम बे०॥ गोद बिगइने वीनवु बे, पाय नमुं करजोम बे०॥5॥१३॥ प्राण हुशे हवे प्राहुणा बे०, तुं अगवाले इणिवार बे० ॥ वचन बे चार जे. बोलशो बेण, ते अम थाशे आधार बे०॥ ह ॥ १५ ॥ इगिपरे विविध विलापश्री बे०, रुदन 18 कस्यो असराल बे०॥ चोरे नव्हासे बबीशमी बेग, कही जिनविजये ढाल बे०॥०॥१५॥ । ॥दोहा.॥ इणिपरे नाये घणा, कस्या विशेष विलाप ॥ निरखी निरखी शालि ने, अति पामे संताप ॥१॥तेद काया तेह चातुरी, ते तनु तेज सुवास ॥ तपश्री दाम्या देखिने, नज्ञ धनदास ॥॥नश विलविलते अके, तब बत्रीशे नारि ।। प्रीतमने देखी। करी, करे विलाप अपार ॥३॥ शिर कूटे कर मुष्टिश्री, हृदय पगमे देव ॥ हाहारव मु खश्री कहे, ए शुं की, देव ॥४॥ ॥ ढाल ७ मी. ॥ (चांदलियोने ऊग्यो रे हरिणी प्राथमी रे.-ए देशी.) नाहलिया निदेजा रे केम बोलो नही रे, अमश्री तुमे इणिवार ॥ बार वरसग्री आ AGES-EPECTA JainEducation For Personal and Private Use Only AJanelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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