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________________ जोतां घणी वाट जी, मु॥ अह निशि करता ऊच्चाट जी ॥सु०॥तेद आव्या पुण्य पसा ये जी, मु०॥ नाम लेतां आएणंद पाये जी॥सु०॥३॥ वंदन सामग्री कीजे जी, मु०॥ धनके रो लादो लीजे जी॥सु॥ तुमे सोल सजो शिणगार जी, मु॥पहिरो वली वेश सफार जी॥ सु॥४॥ घणे दिवसे नूषण काढो जी, मु॥ आज हृदय थयो मुज ताढो जी॥ ॥ सामग्री वंदणकेरी जी, मु॥ करे सुतने स्नेहे नलेरी जी ॥सु०॥५॥ एटले धन्नो शालि ससाध जी.म०॥ वंदे वीरने निरबाध जी॥स०॥मागे शीख गौचरीने काज जी. मु॥ मासखमणनो पारणो आज जी॥सु॥६॥ कहे वीर सुणो वन वात जी, मु०॥४ मात हाणे आदार सुख्यात जी ॥ सु०॥ सुणि शालि मुनीश्वर हरखी जी, मु॥धना साथे इरजा निरखी जी॥स०॥॥तेह गौचरिये तिहां जावे जी. मु नज माताने घl रे आवे जी॥सु०॥ स्त्री बेठी तनु शिणगारे जी, मु०॥ पिण पति नवि नलख्यो त्यारे जी। 15/॥सुणाना आदर तव किणही न दीधो जी, मु०॥ वलि आहार न मिल्यो तिहां सीधोजी ॥सु०॥धन्नो शालिन विचारे जी, मु०॥ वीर वचन हृदय संन्नारे जी॥सुणाए॥ तव ति है हांथी पाग वलिया जी, मु०॥ पिण किणही तेह न कलिया जी ॥ सु॥ मारगमें मिली है। महियारी जी, मु०॥ विनयानत थ सुपियारी जी ॥ सु०॥१०॥ देखि शालिने नलसित BASSISTAN Jain Educationa l atonal For Personal and Private Use Only Chelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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