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________________ धन्ना० १२५ • पुप्फदाम सुविशेष ॥ ११ ॥ शालिकुमरने सिंहासने रे, शिबिकामांदि बेसार ॥ ० | बत्रीशे नारी तिहां रे, बेटी करी शिसगार ॥ स ० ॥ १२ ॥ सहस पुरुष वहे शिबिका रे, शो जित शुचि करि गात्र ॥ स० || आगल दय गय रथ जला रे, तिम वली नावे पात्र ॥ सप ॥ १३ ॥ बंदीजन जय जय करे रे, बोले बिरुद सुचित ||स०॥ वाजिंत्र वाजे प्रति घणां रे, | सोहव गावे गीत ॥ स० ॥ १४॥ दान देवे याचक प्रते रे, जे मागे ते तास ॥ स० ॥ एहवे गौ देवता रे, बकरे नव्हास ॥ स० ॥ १५ ॥ राजगृही रलियामणी रे, शिणगारी सवि | तेह || स० ॥ श्राकाशे देवडुंडुनी रे, वाजे ध्वनीथी अवेह || स० ॥ १६ ॥ बत्र घरे शिर क परेरे, मेघामंबर देव ॥ स० ॥ चामर अति सोहामलां रे, वींजे विधिश्री देव || स०॥ १७ ॥ श्रेणिक सेचन गज चढी रे, चाले परिकरजुत्त ॥ स० ॥ अवर दिशे गौनइजी रे, देव स्व रूप प्रयुक्तं ||स० || १८ || मणिमय शिबिका में तिहां रे, पावल जज्ञ मात ॥ ॥ मेघतली परे वरसती रे, वसुकी अधिक विख्यात ॥ स० ॥ १९ ॥ इत्यादिक प्रबरे रे, चाल्या शालिकुमार ॥ स० ॥ धन्नोज्ञाह पिलरुदिश्री रे, प्रावी मिल्या तिथिवार ॥ स० ॥ २० ॥ दूधमें जिम मिसरी मिल्ये रे, होवे अधिक सतेज ॥ स० ॥ तिम शालिनने तिले समे रे, धन्नाथ वध्यो हेज ॥ स० ॥ २१ ॥ समवसरण आव्या वही रे, महोटो करीय मंगाल || स Jain Education Externational For Personal and Private Use Only नु०४ १२५ inelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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