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________________ धन्ना ॥दोहा.॥ माताये सुत स्नेहथी, विविध कस्या विलाप ॥ तिम स्त्री पण सघली 10 १२४ ४ मली, दाख्या कला कलाप ॥ १ ॥ शालिन्नइ नवि नेदियो, मन वचश्री महिराण ॥ शील सन्नाहने शं करे, मनमथ नृपना बाण ॥॥ तव माता कहे ताहरे, शो मन आलोच ॥ शालि कहे संयम नणी, हुं करूं सयल संकोच ॥३॥ माता चिंते मुज थकी, अनुमति | किम देवाय ॥ए पिण घरमा नवि रहे, अहो बुंदरी न्याय ॥४॥ एहवे गौनश् देव तव, कदे नज्ञने आम ॥ अनुमति द्यो दीक्षा तणी, शालिनणी सुखकाम ॥५॥ तव नज्ञ मन | 8 दृढ कररी, कहे वह तुम सुख जेम ॥ तिम करो अति अविलंबधी, सदा रहो तुज खेम ॥ ६॥नज्ञ लेई नेटणो, पहोती श्रेणिक पास ॥ करजोमी कोमल स्वरे, एम करे अरदास H॥७॥ शालिकुमर संयम आहे, मी सयल संसार ॥ ते नणी त्रादिक सवे, आपोजी इशिवार ॥ ॥ सुणि श्रेणिक विस्मित थयो, कहे नज्ञने वाण ॥ नव दीक्षानो अधिक, अमे करशुं श्री गण ॥ए ॥ रजोहरण पमघो तिहां, देई लक दीनार । कुतियावणयी। आणीया, नाये तिणिवार ॥ १०॥ ॥ ढाल २२ मी.॥ (देशी पूंबखानी.) श्रेणिक सवि परिवारशुं रे, आवे शालि आगार ॥ सनेहा साजना ॥ नक्षी आणंद Jan Education national For Personal and Private Use Only anelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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