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________________ रे ॥ शेव॥४॥ व्यवसायादिक पाधरा, आवे ने अहो जात लाल रे ॥ सकल समीहित 15 संपदा, पामी जगत विख्यात लाल रे ॥ शेठ॥५॥ जो तुमने ए बालना, गुण न गमे मनमांद लाल रे ॥ तो तुमे नाग्य पोतातणो, परखो अतिहि नद्यांह लाल रे ॥ शेठ०॥६ त॥त्रीश त्रीश मासा सुवर्णना, लेश करो व्यवसाय लाल रे ॥लान कमाई तेहनो, पोखो । स्वजन समवाय लाल रे ॥ शेठ०॥७॥श्म कही चारे पुत्रने, ये मासा त्रीश त्रीश ला-P कल रे ॥ एकेक दिन नोजन तुमे, देज्यो धरी सुजगीश लाल रे ॥शेठ ॥७॥ते लश्ने |आप प्रापणे, स्थानके जइ ततखेव लाल रे ॥धन अर्जन चिंता घरे, मनमें अति अहमेव लाल रे ॥शेठ०॥ए॥नोजन नक्ति जणी तदा, प्रथम दिने धनदत्त लाल रे ॥ व्यवसायोद्यमश्री करे. पिण फल लाग्यश्री मत्ति लाल रे॥ोठ॥१०॥ यतः॥अनुष्टबवृत्तम्॥ उद्यमं कुर्वतां पुंसां, नाग्य सर्वत्र कारणं ॥ समुह मथनालेने, हरि «दमी हरो विषं ॥ ॥नावार्थ:-उद्यमकर्ता पुरुषोने बधे ठेकाणे, माग्य कारणनूत के कारण के, समुश्म-18 थन करवाश्री, दरि लक्ष्मीने प्राप्त करता हवा अने शिव केरने मेलवता हवा.॥४॥ बहुल प्रयास थकी तिणे, लान्न लह्यो अति स्वल्प लाल रे ॥ चिंते नोजन शी विधे, देशं अतिहि अनप लाल रे ॥ शेठ० ॥११॥ वाल लिया सविशेषयी, तैलग्रही तेणिवार लाल रे ॥ Jain Education r ational For Personal and Private Use Only Saundainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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