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________________ धन्ना० ___ सुणो बाईजी अरदास अनोपम अमतणी सासू जी, करूं वीनति गोद बिबाय लली १११ । लली तुम नणी सासू जी ॥ तुम नंदन सुगुण निधान सोनागी सेहरो सा०, एह इस 5 रिस अवतार सुसार ते देहरो सा० ॥१॥ करतो क्रीमा मन कोम सुजोमश्री सर्वदा । | सा०, धरतो मनमें विसवास आवास मांही तदा सा०॥इंशणीने अनुकार मुदार ते जाPणतो सा०, नित पंच विषयसुख लोग अमर परे माणतो सा०॥२॥ नृप पाव्याश्री मन- IP मांही विषाद को ऊपन्यो सा०, नवि जाणीजे अम कोय जे श्याश्री नीपन्यो सा०॥ न । 8 सुणे गुण गीत विनोद सुबुध्थिी मेलवी सा०, हवे न करे वात विचार कामिनीशू केलवी 8 सा०॥३॥ अमे सुकुलीणी मिली सर्व करूं घणी वीनती सा, तो पिण बोले नही एह है। जिशो हुए मुनिपती सा० ॥ नवि पूरे नोजन वात न ताति वसन तणी सा०, आनूषणशू । अनुराग सुराग न धन नणी सा०॥४॥ अमे देखी पति दिलगीर फूलं सवि नामिनी | सा, न करूं सुपरें शिणगार न सूq यामिनी सा०॥ अमचो ए प्राण आधार विचार धरे । दकिशो सा, जो लहिये तेढनो नेद नद्यम करिये तिसो सा० ॥५॥ अमे दाम्यां पियु उःख देख। विशेष लडूं नंही सा०, जिम कूपककेरी बांय समावे तिहां सही सा० ॥ अमचो को होये दोष तो दाखो तेहने सा०, अमे तुम विन ए पोकार कहीजे केहने सा० १११ Jain Education International For Personal and Private Use Only N ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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