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________________ धन्नारखी श्रेणिक रूप कला नीलो, अमर सदृश अनुकार ॥ शा०॥७॥ हर्ष धरी नगेापणे, न०४ १०015/ बेसास्यो ततकाल ॥ आतपथी जिम माखण परघले, तिम प्रश्वेद विशाल ॥ शा० ॥ ७॥ | देखी माता रेनूप प्रते नणे, ए पीतलियो रे देव ॥ पर कर फरस न ए साहसी शके, शू जाणे एह सेव ॥ शा०॥णा शोखं द्यो एदने रे राज्य मया करी, एह तुमचो रे बाल ॥ तुमची कृपाथी रे ए लीला करे, तुमे एदना प्रतिपाल ॥शाण॥१०॥ मधुर वचनथी रे बो लावी मुदा, दीधी शीख तिवार ॥ विषधर कंचुकी मे तिणि परे, गेमि चल्यो सुविचार॥ 13 शा० ॥ ११ ॥ बेगे जश्ने रे निज वातायने, सोचे चित्त मकार ॥पंच विषय सुख विष स४ रिखां थयां, न गमे वात विचार ॥ शा॥१॥ आलोचे मन अति नदवेगयो, कुःखगनि त वश्राग ।। एहवी करणी रे आजयी आदरूं, जिणे करी लहु नव ताग ॥ शा०॥ १३ ॥ नाथ न राखू रे माथे आजथी, रही गृहवासे रे रंग ॥ नाथ करूं एक त्रिन्नुवननो धणी, जे । हनो स्नेह अन्नंग ॥ शा० ॥१५॥ जिम योगीश्वर ध्यान धरी रहे, तिम रहे शालिकुमार॥ चोथे नल्हासे रे ढाल ए बारमी, जिन कहे वचन नदार ॥शा ॥ १५ ॥ ॥दोहा. ॥ हवे नज्ञ नृप आगले, आवो करे अरदास ॥नोजन अवधारी नलां, पडे पहोचो आवास ॥१॥नशनो मन राखवा, रह्या तिहां मन रंग ॥ लक्षपाक तैलादि तव, २०० Jan Education rational For Personal and Private Use Only W a nelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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