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घन्ना०
|साहत तस मूख्य विचारी नांखीए दो लाल वि०॥ ७॥ तव बोल्या कहे मात कंबल अ-न०१ १०॥
धिको नथी हो लाल कं, जिम जाणो तिम कार्य करो एह मांहथी हो लाल क०॥वीश 5 18 लाख धन पूर्ण देवारो अम प्रते हो लाल दे०, सोलतणां बत्रीश करी द्यो वधु प्रते हो लाल क॥ ॥ सुणि नाये वेग नंकारी बोलाविया हो लाल नं०, ते पिण धनद सरूप नशा
आवीया हो लाल न०॥ कदे वीशलाख दीनार दीयो धन एहने हो लाल दी, तव ते ।। लही आदेश गया ले तेहने हो लाल ग०॥ ए॥ नघामे नंमार देखे तव वाणिया हो ला-2 ल दे०, रूप्य सुवर्णना पाट दृषद परे जाणीया हो लाल दृ०॥ मोतीना के माट लसणि या कुण लिये हो लाल ल०, पानानो नहि पार हीरा न गुणे हीये हो लाल ही० ॥१०॥
मणि माणेकनो मेल कस्यो न हुवे कदा हो लाल कण, विद्रुम विविध प्रकार अपार देखे त । * दा हो लाल अ॥ थंनाणा तव तेह विचारे चित्त में हो लाल वि०, ए प्रत्यक्ष देवें धनद ।
सम वित्तमां हो लाल ध० ॥११॥ गणि प्रापे धन सर्व लेखो करिने मुदा हो लाल ले, 15 व्यापारी लेश् दाम आव्या थानके तदा हो लाल आ०॥ करे अन्योन्ये वात विनय देखो
बता हो लाल वि०, नृपने इन्यमें शहि अंतर घणो पेखतां दो लाल अं ॥ १२ ॥ अंवरश्री धनराशि ऊतरती जेहने दो लाल क०, मणि मुक्ताफल एम न दीठां तेहने हो लाल न०॥ है| १०५
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Jain Educator A
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