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________________ ए ले जावे ॥ शेठ सामंत सवि सऊ प्रश्ने, मूकावो वझदावे ॥अ॥०॥ सहु को सानली चिंते मनमें, एह तो गहिलो बोले ॥ कपट तणो तो कोय न जाणे, कपटे सघला नूले | ॥०॥१॥ ग्राम ग्रामथी अश्व पालटी, आव्या तुरत निज देशे ॥श्रेणिकने वधामणी है। पहोती, अाव्या अनय सुवेषे ॥०॥॥ अन्नयकुमर प्रद्योतनने तव, तातने पाय ल-81 गामे॥ वचन कह्या माटे में तुजने, पाण्योरणे आखामे ॥०॥२३॥ आज पठी को | राजा साथे, वैर म करशोनाई ॥श्म कही मालवपतिने वेगे, पहोचायो चित लाई॥5 18अ ॥ २५ ॥ वैर विरोध सहूथी लांज्या, अन्नये बुद्धि प्रकारे ॥ चोथी ढाल चोथे उल्हासे, कही जिन मति अनुसारे ॥ १०॥ २५॥ ॥दोहा. ॥ अन्नयकुमर वंगित फल्यो, बुध्यिकी सुप्रमाण ॥ श्रेणिकनी चिंता ! टली, दिन दिन कोमी कल्याण ॥१॥ कहे नृप सनिल अन्नय तुं, तुज विण सहु मूफाय | ॥ न्याय नीति करवी पमे, पिण ते किणही न थाय ॥२॥ सेचन गज बूट्यो इतो, पाड्यां 18 घरने हाट ॥ वाट बिगामी नगरनी, अमने यो नचाट ॥३॥ पिण धन्नोशाह तेहवे, आ| 1 व्या आपणे काम ।। हाथी पकमी बांधियो, मोटी राखी माम ॥४॥ काणाश्री घमो पद ड्यो, गौनशेठने देव ॥ न्याय कियो नरपति परे, उग चाल्यो ततखेव ॥ ५॥ बीजांप- * Jain Educational rational For Personal and Private Use Only * ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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