SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 182
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धना० ल-पूरव पुण्ये बे लाल, धन्नो सुख वरे ॥ राजा मंत्री बे लाल, हित अधिको धरे॥१॥ तु न०३ ए हित धरे अधिको स्नेह साचो, काचो नही को वातश्री ॥ एक कनकने वलि सुरनिवासे, ते लहे यश जातिथी ॥ तिम बुद्धि पाश् वलो जमाई, गुणे गौरवता लहे॥ त्रीजे नल्हासे वीशने श्क, ढाल ते जिन श्म कहे ॥१२॥ # ॥दोहा. ॥ हवे धन्नो सुख नोगवे, षट कामिनीथी खांति ॥ धरणेज्ञादिकने जिसी, IA षट इंज्ञणी पांति ॥१॥ चिंते चित्तमें तव चतुर, जश्ए मगध मझार ॥ मिलिये श्रेणिक रायने, रहिये निज आगार ॥२॥ ग्राम सकल संन्नालिये, गज अश्वादिक तेम ॥ सरवे || सीदाता हुशे, कंत विना स्त्री जेम ॥ ३ ॥ कुसुमपालादि सयण सवि, जोता हुशे बहु वाट | ॥ दयिता बे दिलगीर ते, करती हुशे नचाट ॥ ॥ श्म चिंतीने नृपतणी, मागे धन्नो शील ख ॥ नृप सचिवादिक ताम ते, बोले सवि सरीख ॥ ५॥ ॥ढाल २२ मी.॥ (नरत नृप नावणुं ए.-ए देशी. करजोमा धनपति प्रते ए, राजादिक कहे एम ॥ सुणो तुमे शुन्न मतिये ॥ अमने अवहेली करी ए, प्रीत नतारो गे केम ॥सु०॥१॥ ए आंकणी.॥प्रीति बंधाणी तुम अकी ए, बाजेहवी जलने मीन ॥ सु०॥ तुम गुण अम मनमे वश्या ए, पंकज जिम जल लीन ॥ सु० ए. Jan Educationa a tional For Personal and Private Use Only ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy