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________________ C धन्ना पिण दाख्यो हो ॥ सु॥१५॥ हो शेठ तिहां धनसार, कहे वहु प्रते सकल विचार हो। न०३ ६६ सु०॥ तुमे जान धनपति गेद, तक्रादिक लावो ये जेह हो । सु० ॥ १६ ॥ तव ते वहु नि. ६ सुणी वाणी, वारू कहे मनमां जाणी हो ।। सु०॥त्रीजे नल्हासे गवाणी, ढाल सातमी | जिन गुणखाणी हो ॥ सु ॥ १७॥ ॥दोहा. ॥ हवे ते त्रिण्ये वधु तिहां, लेवा आवे तक ॥ स्वछ दिये जल सारिखी, नयन वदन करी वक्र ॥१॥ चोने दिन ते लाजथ), आवे सुत्नश जाम ॥ सौन्नाग्यमंजरी 5ए तिहां, बेसामी शुन गम ॥२॥ आदर देश अति घणो, आपे गोरस सार ॥ कहे बाइ तूं ४ आवजे, नित प्रते मुज आमार ॥ ३॥ तकादिक पिण अति अवल, लेश्ने ततखेव ॥ श्रावी | ते निज स्थानके, सासूने ये हेव ॥ ॥ तव सुसरो सासू कहे, देखो पुण्य प्रकार ॥ धनप ति वधु प्रणिपति करे, नाग्य प्रबल मनोहार ॥ ५॥ निसुणी खोजी ते त्रिणे, कहे सुगो | सासू वात ॥ नित प्रते पुत्र वखाणते, हाथी गयो विख्यात ॥ ६ ॥ वली तेहनी वधुने तु-5 18/ मे, परसंसो परगट्ट ॥ ते पिण धनानी परे, जाशे कोश्क वह ॥ ७॥ दिवसे माटी शिर व हे, रात्रे पमेनूपीठ ॥ देखो देराणी.नाग्यबल, कंत विरह अति धीठ ॥७॥ सुगी सुनश ते वचन, दाजी दिलमें दीन ॥ नयश्री आंसू करे, विरह व्यथा लयलीन ॥ ए॥ ARRRRRRC 1250-55-% Jain Educatol ( mational For Personal and Private Use Only A lainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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