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________________ 1-91-C धन्ना करे वालक ठे, माता तव दुःख दीन हो ॥ सुं॥ देखी पामोशणो मीली, पूरे ते सुप्रवी- न०२ ५१ न हो ॥सुंणापु०॥६॥ बात कही सवि बालनी, मागे ए 'परमान हो ।। सुं०॥ ते बोलीयो । इसी ततकणे, एहमांशू ने अज्ञान दो ॥ सुं०॥ पु०॥७॥ दूध खांझ घृत शालिने, आणी ये एकेक हो ।। सुंग ॥ सर्व संजोगे नीपनी, खीर ते अति ही सुक हो । सुं० ॥ पुगा बालक तेकी हपशु, पिरसे ते परमात्र हो ॥ सुं॥ पवन थकी शीतल करे, राखी निश्चय ध्यान हो ।सुंगापु०॥ए। एहवे मुनिवर गौचरी, फिरता आहारने काज हो ॥ सुं०॥मा-18 ४ सखमणने पारणे, तिहां पहोत्या सुखसाज हो । सुंणापु० ॥१०॥ देखी मुनिवरने तिहां, 8 जागी दाननी बुद्धि हो ॥ सुं०॥ समकित कायोपसम थकी, आत्म थयो सविशुइ हो ॥ है सुं०॥ पुण॥११॥ दान दियो ऊलट धरी, न करी विमासण कोय हो । हुँ०॥ काईक नाव में विशेषथी, अल्प संसारी होय हो ॥ सुं॥पु॥१॥ मुनिवर वहोर। संचस्या, संगम चाटे याल हो ॥ सुंण् ॥ देखी माता चिंतवे, नूख्यो ने हजी बाल हो ॥सुं०॥ पु०॥१६॥ पिरशी 1 शेष हती तिके, खाधी खीर सवाद हो ।। सुं०॥ नूख्यो बालक मुज रहे. इम धरे मन वि.8 ट्राषवाद हो ॥सुं०॥पु०॥१५॥ माता आगल मुनितणी, वात न कीधी काय हो।सुं॥रा CA49-9-4-9647 Jain Education rational For Personal and Private Use Only inelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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