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कल्प०
॥४५॥
धम्मस्स णं अरह जाव सबस्कप्पहीणस्स तिमि सागरोवमाइं विश्कताई, पन्नहिं च, सेसं जहा मनिस्स ॥ ११ ॥ १५ ॥ | अणंतस्स णं अरदउँ जाव सबउरकप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाइं विश्कता
पन्नहिं च, सेंसं जदा मल्लिस्स ॥ १५ ॥ १४ ॥ * विमलस्स णं अरदर्ज जाव सबजकप्पदीणस्स सोलस सागरोवमाइं विश्कताई,
पन्नहिं च, सेसं जदा मल्लिस्स ॥ २३ ॥ १३ ॥ | वासुपुजस्स एणं अरदउँ जाव सबस्कप्पहीणस्स गयालीसं सागरोवमाइं विश्कता पन्नहिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१४॥१२॥ | सिङसस्स णं अरदर्ज जाव सबजुकप्पहीणस्स एगे सागरोवमसए विश्कते पन्न च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥ १५ ॥११॥
॥४५॥
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