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________________ बिमं अंतरावासं वासावासं उवागए ॥११॥ तवं णं जे से पावाए मज्झिमाए दबिवालस्स रमे रअगसनाए अपचिमं अंतरावासं वासावासं उवागए, तस्स णं अंतरावासस्स जे से वासाणं चनजे मासे सत्तमे परके-कत्तिबहुले, तस्स णं कत्तियबहुलस्स पन्नरसीपके णं जा सा चरमा रयणी, तं रयणिं च णं समणे जगवं महावीरे कालगए विश्कंते समुझाए बिन्नजाइ-जरा-मरणबंधणे सिझे बुझे मुत्ते अंतगडे परिनिबुडे सवजकप्पहीणे, ॥१२॥ चंदे नाम से ऽच्चे संवबरे, पीश्वक्षणे मासे नंदिवणे पके, अग्गिवेसे नाम दिवसे, उवसमित्ति पवुच्चर, देवाणंदा नाम सारयणी निरतित्ति पवुच्चश्, अच्चे लवे, मुत्ते पाणु, थोवे सिझे, नागे करणे, सवासिमुहुत्ते, साश्णा नकत्तेणं जोगमुवागएणं । कालगए विश्कंते जाव सबस्कप्पहीणे ॥१३॥रयाणं चणं समणे नगवं महावीरे । कालगए जाव सबस्कप्पहीणेसा णं रयणी बहूहिं देवेहिं देवीदिय उवयमाणेहिं यनप्प १ दोचे (क० मु०, क• कौ०, क० ल०). IRESERRRRRRRRRRRRRRRRRRRIERRENES JainEducato For Private & Personal use only ainelibrary.org
SR No.600160
Book TitleKalpasutra Moolpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherBhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publication Year1927
Total Pages142
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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