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________________ C rate तपोरत्नमहोदधि सर्वतोभद्र तप. s RGRAMORE पेठे जाणवू. आ तप करवाथी सर्व वांछितनी सिद्धि थाय छे. आ यति तथा श्रावकने करवानो आगाह तप छ, गरगुं विगेरे तप नंबर २६ प्रमाणे समजबु. २९ सर्वतोभद्र तप. आद्यापञ्चषडश्वनागनदभिर्दिकछंभुभिः श्रेणिका, नागैनन्दककुशिवः शररसैरश्वैद्वितीया च सा । रुद्राणरसाश्वनागनवभिर्दिग्भिस्तृतीया भवंत, तुर्या सप्तगजैश्च नन्ददशभिः श्रीकंठयाण रसैः॥१॥ काष्ठारुद्रशरै रसैहयगजैनन्दान्वितैः पश्चमी, षष्ठी षट्तुरगेभनन्ददशभिः श्रीकंठवाणैः परा।। नन्दाशाशिवबाणपट्यगजैः पूर्णावलिः सप्तमी, ते वै पारणकान्तरा निगदिता नित्योपवासा बुधैः ॥२॥ चोतरफथी कल्याण करनार होवाथी आ तप सर्वतोभद्र कहेवाय छे. अहीं प्रथम श्रेणी अनुक्रमे निरंतर पारणावाळा पांच, छ, सात, आठ, नव, दश अने अगियार उपवासवडे थाय छे. बीजी श्रेणि आठ, नव, दश, अगियार, पांच, छ अने सात उपवासघडे थाय छे. त्रीजी श्रेणि अगियार, पांच, छ, सात, आठ, नत्र अने दश उपवासवडे थाय छे. चोथी श्रेणि सात, आठ, नव, दश, अगियार, पांच अने छ उपवासवडे थाय छे. पांचमी श्रेणी दश, अगियार, पांच, छ, सात, आठ अने नव उपवासे करीने थाय छे. छटी श्रेणि छ, सात, आठ, नव, दश, अगियार अने पांच उपवासवडे थाय छे. तथा सातमी श्रेणी नव, दश, अगियार, पांच, छ, सात अने आठ उपवासवडे थाय छे. आ तपना दिन ३९२ तथा पारणाना दिन ४९ थाय छे. कुल आ तप (४४१) दिवसे पूर्ण थाय छे. उद्यापन भद्र तपनी पेठे जाणवू. HCRecieo CHc Jain Education International For Private & Personal use only wanyong
SR No.600158
Book TitleTaporatna Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktivijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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