________________
मुक्तावली
तए.
नपोरत्न
|| कसा छ अने रत्नावलिमां अहम छ तेने स्थाने पष्ठ मकवा एवं श्री प्रवचनसारोद्धारनी टीकामां कहेलं छे. गरगुं "उ महोदधि नमो अरिहंताणं " ए पदन वीश नोकारवाळीवडे गणवं. साथीआ विगेरे बार बार करवा,
२२. मुक्तावली तप. . मुक्तावल्यां चतुर्थादि षोडशायावलीद्वयम् । पूर्वानुपूर्व्या पश्चानु-पूर्या ज्ञेयं यथाक्रमम् ॥ १ ॥ एकत्येकगुणैकवेदवसुधाबाणैकषड्भूमिभिः सप्तकाष्टमहीनवैकदशभिर्भूरुद्रभूभानुभिः। भूविश्वैः शशिमविलातिथिधरा विद्यासुरीभिर्मितै-रेतदव्युत्क्रमणोपवासगणितैर्मुक्तावली जायत ॥२॥
तपस्वीओने कंठना आभरणरूप निर्मळ मुक्तावळी सदृश होवाथी आ तप मुक्तावळी नामनो कहेवाय छे. ते मुक्तावळीमा उपवासादिक सोळ सुधी वे आवळी आनुपूर्वीवडे तथा पश्चानुपूर्वीवडे अनुक्रमे जाणवी. तेमां प्रथम एक उपवास उपर पारणु, ॐ पछी उह उपर पार[, पछी उपवास उपर पारगुं, पछी अहम उपर पारगुं, पछी उपवास उपर पारj, पछी चार उपवास
उपर पारणु, पछी उपवास उपर पारj, पछी पांच उपवास उपर पारणं, पछी उपवास उपर पारj, पछी छ उपवास उपर पारण, पछ। उपवास उपर पारj, पछी सात उपवास उपर पारणं. पठी उपवास उपर पारणं. एरीते सोळ उपवास उपर पारणु, पछी उपवास उपर पारणुं करवू. त्यारपछी पश्चानुपूर्वीए लेवू. एटले के प्रथम सोळ उपवास उपर पारगुं, पछी उपवास उपर पारणु, पछी पंदर उपचास उपर पारj, पही उपवास उपर पारj, पछी चौद उपवास उपर पारj, पछी उपवास उपर पारणु, पछी तेर उपवास उपर पारj, पछी उपवास उपर पारj, ए रीते छेवट एक उपवास उपर पारणुं करवू. आ प्रमाणे उपचास ३००
PRESEARCH
सोळ उपवास उपर
उपवास उपर पारण
॥३३॥
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Main Educatan international