SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * तपोरत्नमहोदधि ज्ञान,दर्शन, चारित्र तप. ९ श्री सुविधिनाथ पारंगताय नमः। मोक्ष भादरवा वद. | ८)) श्री नेमिनाथ सर्वज्ञाय नमः। केवल १३ ने दिवसे श्री महावीरनो गर्भापहार थयो, ते कल्याणक गणवू नहीं. . आसो शुदी. १५ श्री नमिनाथ परमेष्ठिने नमः च्यवन बाकीनी विधि उपर कहेली रीत प्रमाणे जाणवी. दरेक कल्याणके साथीया १२ करवा, खमासमण १२ देवा, काउसग्ग १२ लोगस्सनो करवो अने नवकारवाळी २० गणवी. ९-१०-११ ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप. - एकान्तरोपवासैश्च त्रिभिर्वापि निरन्तरैः । कार्य ज्ञानतपश्चोद्यापने ज्ञानस्य पूजनम् ॥१॥ एकांतरा त्रण उपवास करवा अथवा लागठ उपवास व्रण (अट्ठम) करवा. ए प्रमाणे ज्ञानतप करवो. उद्यापनमा साधुने पुस्तक तथा ज्ञानना उपकरण- दान देQ. ज्ञानपूजा करवी, ज्ञाननी पासे छए विगइना पदार्थो ढोकवा. आ तप करवाथी निर्मळ ज्ञाननी प्राप्ति थाय छे. तेमां पण यथाशक्ति सिद्धांतादि पुस्तक लखावीने मूकबु. ॥ प्रवचनसारोद्वारे ॥ दर्शन तप पण ए जीते उपर प्रमाणे करवो. उद्यापनम्म मोटी स्नात्रविधिए देवनी पूजा भणाववी. जिनप्रतिमानी पासे छए ASNCREASRAMASOOK Jain Edu For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600158
Book TitleTaporatna Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktivijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy